संयुक्त संसदीय समिति की बैठक के बाद समिति के अध्यक्ष जगदंबिका पाल ने पत्रकारों से कहा कि 44 संशोधनों पर चर्चा की गई। छह महीने तक चर्चा के बाद हमने सभी सदस्यों से संशोधन मांगे थे। यह हमारी अंतिम बैठक थी, इसलिए बहुमत के आधार पर समिति ने 14 संशोधनों को स्वीकार किया।
नई दिल्ली। संसद की संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) ने सोमवार को वक्फ संशोधन विधेयक से जुड़े संशोधनों पर खंडवार चर्चा की और कुल 14 बदलावों को संस्तुति प्रदान की। 1995 के वक्फ अधिनियम में सरकार की ओर से कुल 44 संशोधनों का प्रस्ताव था। बैठक में इन संशोधनों में बदलाव किए जाने पर चर्चा की गई। विपक्ष की ओर से दिए गए सभी संशोधन वोटिंग के बाद अस्वीकृत कर दिए गए।
संयुक्त संसदीय समिति की बैठक के बाद समिति के अध्यक्ष जगदंबिका पाल ने पत्रकारों से कहा कि 44 संशोधनों पर चर्चा की गई। छह महीने तक चर्चा के बाद हमने सभी सदस्यों से संशोधन मांगे थे। यह हमारी अंतिम बैठक थी, इसलिए बहुमत के आधार पर समिति ने 14 संशोधनों को स्वीकार किया। विपक्ष ने भी संशोधन सुझाए थे। हमने उनमें से प्रत्येक संशोधन को आगे बढ़ाया और उस पर मतदान हुआ लेकिन उनके समर्थन में 10 और विरोध में 16 वोट पड़े। इस कारण उसे मंजूर नहीं किया गया। वक्फ संशोधन विधेयक पर जेपीसी को संसद के बजट सत्र के दौरान अपनी रिपोर्ट पेश करनी है। संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान जेपीसी का कार्यकाल बढ़ा दिया गया था।
समिति की सदस्य भाजपा नेत्री अपराजिता सारंगी ने कहा कि बैठक की कार्यवाही लोकतांत्रिक ढंग से हुई। सभी को अपना पक्ष रखने की अनुमति दी गई। कल संशोधित रूप में विधेयक सदस्यों के बीच वितरित किया जाएगा। 29 जनवरी (जनवरी) को समिति विधेयक को अपनाने पर चर्चा के लिए फिर से बैठक करेगी।
उधर, विपक्ष ने बैठक के बाद आरोप लगाया कि खंडवार चर्चा की बजाय समिति में केवल संशोधनों पर मतदान किया गया। विपक्षी नेताओं ने समिति की आज की कार्यवाही को हास्यास्पद बताया और कहा कि यह लोकतंत्र का काला दिन है।
तृणमूल सांसद कल्याण बनर्जी ने कहा कि हमें चर्चा के लिए समय नहीं दिया गया। किसी भी चर्चा या स्पष्टीकरण के बिना बदलावों पर वोटिंग की गई। पूरी प्रक्रिया को वोटिंग के जरिये हराया गया। सभी प्रक्रियाओं को दरकिनार कर दिया गया और अध्यक्ष ने विधेयक में मामूली बदलाव कर इसे आगे बढ़ा दिया, कोई चर्चा नहीं हुई। जबकि जेपीसी के गठन के बाद से हितधारकों को बुलाकर इन पर चर्चा की गई है। 95-98 प्रतिशत हितधारकों ने विधेयक का विरोध किया है।
द्रमुक नेता ए राजा ने कहा कि जेपीसी की आज की बैठक में खंड दर खंड विचार होना था। हमने इस बात का मुद्दा उठाया कि दस्तावेजों के अभाव में ऐसा कैसे संभव है। समिति ने लखनऊ, पटना, कोलकाता का दौरा किया। इसमें हितधारकों ने अपने विचार रखे। उससे जुड़े दस्तावेज हमें नहीं मिले हैं। अध्यक्ष ने निर्देश दिया कि सभी दस्तावेजों को सात दिनों के भीतर सदस्यों तक पहुंचाया जाना चाहिए और सात दिन हो गए हैं।
शिवसेना (यूबीटी) सांसद अरविंद सावंत ने कहा कि विपक्ष अपनी ओर से दिए संशोधनों पर चर्चा चाहता था। हमने संशोधन किसी कारण से दिए थे। उन पर विचार होना चाहिए था। अब हमें कहा गया है कि अंतिम ड्राफ्ट रिपोर्ट 29 जनवरी को दी जाएगी।
सपा सांसद मोहिब्बुल्लाह नदवी ने कहा कि जेपीसी की बैठक में देश के अल्पसंख्यकों के साथ मजाक हुआ है। यह वक्फ बोर्ड को लूटने की एक प्रक्रिया है। संसदीय प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया था।
आज जेपीसी की बैठक से पहले एनडीए के नेताओं ने केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू के निवास पर उनसे मुलाकात की। इस दौरान शिवसेना सांसद नरेश महस्के ने विपक्ष पर अल्पसंख्यकों का मसीहा दिखने के लिए नाटक करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि विपक्षी नेताओं में आपस में प्रतिस्पर्धा है कि कौन अधिक विरोध करेगा।
उल्लेखनीय है कि शुक्रवार को जेपीसी बैठक में फिर हंगामा हुआ था। इसके चलते विपक्ष के 10 सदस्यों को समिति की कार्यवाही से एक दिन के लिए निलंबित कर दिया गया था।